कोई शिष्य गुरु चरणों में

कोई शिष्य गुरु चरणों में जब शिष्य झुकता है,
परमात्मा खुद आकर आशीष लुटाता है।

गुरु चरणों में पूजन का कोई थाल सजाता है,
परमात्मा खुद आकर तब दीप जलाता है।

कोई भाव भरे शब्दों से जब गुरु को रिझाता है,
परमात्मा खुद आकर उसे गले लगाता है।

कोई बालक बन चरणों में जब बिनती सुनाता है,
परमात्मा खुद आकर गोदी में बिठाता है।

गुरु चरणों में अश्कों के कोई मोती लुटाता है,
परमात्मा खुद आकर पलकों पे बिठाता है।

गायक राजकुमार भारद्वाज
मो। 90 3458 1000

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