जिन्हे कोख में मारते हो

जिन्हे कोख में मारते हो वो ही बेटियां देवियां है,
है सीता कोई तो कोई राधा,
है लक्ष्मी कोई शरधा है,
जिन्हे कोख में मारते हो,
वो ही बेटियां देवियां है

अगर बेटियां ही ना होंगी ये संसार कैसे चले गा,
तो लाओ गए बहुएं कहा से ये परिवार कैसे चले गा.
नहीं खोट बेटो में कोई मगर बेटियां बेटियां है
है सीता कोई तो कोई राधा,
है लक्ष्मी कोई शरधा है,
जिन्हे कोख में मारते हो,
वो ही बेटियां देवियां है

बरस ती वहा वरकते है यहाँ जन्म लेती है बेटी,
करे नाम रोशन ये कुल का निभा धर्म लेती है बेटी,
क्यों जुलम करते हो इनपे बताओ क्या इनकी खता है
है सीता कोई तो कोई राधा,
है लक्ष्मी कोई शरधा है,
जिन्हे कोख में मारते हो,
वो ही बेटियां देवियां है

ये वो पाप शाप है जिसको,
ये गंगा भी धो न सके गी,
करे जितनी सेवा ये बेटी वो बेटो से हो न सके गी,.
वो भी तो कभी बेटियां थी बेटो पे जिनको गुमार है,
है सीता कोई तो कोई राधा,
है लक्ष्मी कोई शरधा है,
जिन्हे कोख में मारते हो,
वो ही बेटियां देवियां है
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