जीवन की गाड़ी चली जा रही है

जीवन की गाड़ी चली जा रही है,
उतरने की मंजिल करीब आ रही है.....

काले काले बाल तेरे सफेद हुए हैं,
आंखों से कुछ भी दिखता नहीं है,
सुनने की शक्ति चली जा रही है,
उतरने की मंजिल करीब आ रही है....

जिभ्या तेरा साथ देती नहीं है,
हरि नाम को तुझे पता नहीं है,
हाथों से दान देना सोचा नहीं है,
उतरने की मंजिल करीब आ रही है.....

काया तेरा साथ देती नहीं है,
माया तेरे से छुट्टी नहीं है,
पैरों की शक्ति चली जा रही है,
उतरने की मंजिल करीब आ रही है.....

झूठ कपट छल और परनिंदा,
इनको छोड़ दे मंजिल यही है,
भजले गुरु को तेरी मुक्ति यही है,
उतरने की मंजिल करीब आ रही है.....
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