ऐ मेरे दिल बनजा हरी के काबिल,
मेरे दिल मेरे दिल मेरे दिल मेरे दिल,
ऐ मेरे दिल बनजा हरी के काबिल
दूर हटा अभिमान का डेरा,
करले हिर्दये में भक्ति ज्ञान का बसेरा,
श्रधा भाव से करले प्रभु हासिल,
मेरे दिल मेरे दिल मेरे दिल मेरे दिल,
ऐ मेरे दिल बनजा हरी के काबिल
प्रभु से मिलन का करले यतन तू,
हरपल हरी का कर सुमिरन तू,
जीवन नैया के हरी ही तो है साहिल
मेरे दिल मेरे दिल मेरे दिल मेरे दिल,
ऐ मेरे दिल बनजा हरी के काबिल
बिना हरी नाम के सूना है जीवन,
सबकुछ करदे तू हरी को अर्पण,
छोड़ जगत हरी चरणों से जाकर मिल,
मेरे दिल मेरे दिल मेरे दिल मेरे दिल,
ऐ मेरे दिल बनजा हरी के काबिल
जब मनवा निर्मल हो जाये,
सहज प्रभु का तू बन जाये,
कहे चित्र विचित्र उजड़ा गुलशन जाये खिल,
मेरे दिल मेरे दिल मेरे दिल मेरे दिल,
ऐ मेरे दिल बनजा हरी के काबिल