करतामल सो बंसी धर हो अधरन श्याम लगाये
मंद मंद मुस्कान अधर अजू नैनं श्याम लुभाए
करतामल सो बंसी धर हो अधरन श्याम लगाये
मोर मुकट हो कृष्ण चंदरते
मोतियाँ मस्तक माला श्याम श्याम है श्याम बदन है
ब्रिज का पिए गोपाला
करतामल सो बंसी धर हो अधरन श्याम लगाये
बंसी स्वर में बीज बीज के ब्रिज ग्वालन सकू चाहे
दास नारायण दर्शन करके मन ही मन हर्षाये
करतामल सो बंसी धर हो अधरन श्याम लगाये