लगाया हरिद्वार मेला चढ़ा रंग गंगा नहाने का,
अरे कावड़ लेने चला दमा दम जट हरयाणे का ,
लगाया हरिद्वार मेला चढ़ा रंग गंगा नहाने का,
घोटी कुरता सिर पे पगड़ी मुशा ले मरोड़ी,
बम बम भोले करता करता पहुंचा हरिकी पौड़ी,
जाट ने शोंक चढ़ा पूरा भोला को मनाने का,
लगाया हरिद्वार मेला चढ़ा रंग गंगा नहाने का,
देसी घी का बना चूरमा काँधे टंगेया थैला,
भोला जी को चला जमाने जाट बड़ा अंबेला
मन में लगाया उमाया नाथ के दर्शन पाने का,
लगाया हरिद्वार मेला चढ़ा रंग गंगा नहाने का,
दर्शन पाके शीश झुकाके जाट ने कावड़ उठाई,
किसो मुशिक में भोले की मीठी तर्ज बनाई,
संध्या कवर आजाद मण्डोरी लेखक गाने का,
लगाया हरिद्वार मेला चढ़ा रंग गंगा नहाने का,