शिव डमरू बोले डम डम,
शिव डमरू बोले डम डम
भेद खोले बम बम बम,
जब भी बनता ये संसार,
अंत में जाता सिधार....
सब कुछ जानता बंदा, जान बूझ कर बनता अंधा,
काम कोई ना सीधा किया, जो कुछ किया उलटा धंधा,
पाप बढे पुण्य घटे, बोलो बम बम बम,
शिव डमरू……
लाला जी की सुनो जुबानी, बहुत मिलाया दूध में पानी,
माल ब्लैक कर बहुत कमाया, समझा मै हूँ पैसे वाला,
हुआ एक्सीडेंट फटा पेट, बोलो बम बम बम,
शिव डमरू……
सुन लो मेरे बहन और भाई, पूंजी तुमने यूँ ही गंवाई,
बाहर के फैशन में आकर तुमने कर ली अपनी लुटाई,
अब फूट गया पाप घड़ा, बोलो बम बम बम,
शिव डमरू………….
कर्मों का फल धरती पर है, इंसां तू क्यो इसको भूला,
कहीं पे मासा कहीं पे तोला, कहीं पर है खाली झोला,
उस मालिक का कहना मान, बोलो बम बम बम,
शिव डमरु………….