म्हारा कुंज बिहारी हे बिहारी कृष्णा मुरारी,
बरसाने गांव रे बोले मोर,
म्हारा कुंज बिहारी हे बिहारी कृष्णा मुरारी,
डूंगर ऊपर डूंगरी रे जा पर बैठाया मोर,
मोर चुगावं मैं गई जी मिल गया नन्द किशोर जी,
म्हारा कुंज बिहारी हे बिहारी कृष्णा मुरारी,
सावन बरस धात वो बरसियो माझी रहो घनघोर,
दादरूई मोर पपीहा बोले कोयल कर रही शोर जी,
म्हारा कुंज बिहारी हे बिहारी कृष्णा मुरारी,
पिया पिया थाने केव सु जी पिया थे ही चित चोर,
नटवर नागर सोवना थे चंदा वहु चकोर जी,
म्हारा कुंज बिहारी हे बिहारी कृष्णा मुरारी,
चन्दर सखी की विनती जी खींचो मन की डोर,
जब जब थाने याद करू जी हिवड़े उठे हिलोर जी,
म्हारा कुंज बिहारी हे बिहारी कृष्णा मुरारी,