होली आई उड़े रे गुलाल डालो जी रंग केसरिया
केसरिया जी रंग केसरिया-2
फागुन मास सुरंगो आयो
संग में सारी खुशियां ल्याओ
उड़े बदन में झान डालो जी रंग केसरिया
होली आई उड़े रे गुलाल...
ब्रज की नवेली बड़ी अलबेली
चंपा चमेली छैल छबीली
नाचे दे दे ताल डालो जी रंग केसरिया
होली आई उड़े रे गुलाल...
नटवर नागर कृष्ण मुरारी
भर पिचकारी सखियों को मारी
कर दिया हाल बेहाल डालो जी रंग केसरिया
होली आई उड़े रे गुलाल...
डफ झांझरिया ढोल बजावां
फागुन को त्यौहार मनावां
देखो देखो होली रो कमाल डालो जी रंग केसरिया
हे फागुन की अलमस्त बहारें वृन्दावन में छायी
झूम उठा ब्रज अलमस्ती में ऐसी होली छायी
ऐसी होली छायी
ऐसी होली छायी
राधा के संग चन्द्रसखी
और सखियां नयी नवेली
बरसाने से आई खेलने
वृन्दावन में होरी हो हो हो
वृन्दावन में होरी
हेजी रे
हेजी रे हिल मिल होरी खेल रहे हैं
ब्रज के ग्वाल गुजरिया
श्याम के संग में
छेल छबीले
नयी उमर के रसिया
नयी उमर के रसिया
नंदगाँव के द्वार मची हैं
होली खेले नर नारी
वृन्दावन की इस होरी पे जाऊं मैं बलिहारी
जाऊं मैं बलिहारी
जाऊं मैं बलिहारी