करो ऐसी कृपा राधे तुम्हारी भक्ति मिल जाये,
ये मुरजाई हुई कलियाँ हमारी फिर से खिल जाये,
ना जाने कितने जन्मो से भटकते फिर रहे राधे
कही ऐसा ना हो जाये जनम ये भी निकल जाये
करो ऐसी कृपा राधे तुम्हारी भक्ति मिल जाये
न देना भक्ति का वरधान न महकाना मेरी बगियाँ,
ये आंखे बंद हो मेरी तू उस से पहले मिल जाए,
करो ऐसी कृपा राधे तुम्हारी भक्ति मिल जाये
राधे इतना खता कर बेठे तुम को अपना बना हम बेठे,
लोग कहते है हम को क्या क्या सब को दुश्मन बना हम बेठे,
ना है पतवार ना कोई खवैयाँ ऐसे ही चल रही मेरी नियाँ,
तार दो चाहे हम को डूबा दो तुम को माजी बना हम बेठे,
राधे इतना खता कर बेठे तुम को अपना बना हम बेठे,
जब से तुझपे लग्न ये लगी है मेरा मन मेरे वस में नही है,
अपने जीवन की प्यारी चुनरियाँ तेरे रंग में रंगा हम बेठे,
राधे इतना खता कर बेठे तुम को अपना बना हम बेठे,