कल राती सुपने च होई मुलाक़ात वे,
मेरे वस च नही जज्बात.....
कुंज गली विच नचदी सी मेरे गले विच पाया ढोल सी,
राधा नाम मैं गा रही थी मेरे सतगुरु मेरे कोल सी,
कल राती सुपने च होई मुलाक़ात वे.....
ओ तेरियां ही गल्ला करदी सी वे मैं करदी करदी रो पई,
सुध बुध मेनू भूल गई वे श्यामा याद तेरी दे विच सो गई,
कल राती सुपने च होई मुलाक़ात वे.....
वृन्दावन मेरी झोपड़ी श्यामा आसे पासे संत वे,
पीला पितांबर वेखया ते भूल गई सारे ग्रंथ वे,
कल राती सुपने च होई मुलाक़ात वे.....
यमुना जि ठा ठा मारदी ते कोले ईक कदम दा पेड़ वे,
तिरछी चितवन वेख के श्यामा छूटे चौरासी गेड़े वे,
कल राती सुपने च होई मुलाक़ात वे.....
हथ तेरे दे विच बांसुरी वे श्यामा गल बैजंती माला वे,
मोर मुकट तो जान गई श्यामा ए ता दिल दिया जानन वाला वे,
कल राती सुपने च होई मुलाक़ात वे.....
जद मुरली विच फुकेया वे श्यामा रस बुल्लिया चो डुल पया,
दोहि बुन्दा पितिया सि ते सुपना मेरा खुल गया वे,
कल राती सुपने च होई मुलाक़ात वे.....