कैसा छाया कावड़ियों पे रंग कावड़ उठा के चले

कैसा छाया कावड़ियों पे रंग कावड़ उठा के चले
जो कावड़ उठा के चले ये बम बम गाते चले,
पी ली भगतो ने थोड़ी सी भंग झूमते नाचते चले,
कैसा छाया कावड़ियों पे रंग कावड़ उठा के चले

कोई बोले हर हर कोई बोले हर हर बम बम,
वेद नाथ बाबा हर लेंगे सारे गम,
देखो ढोल नगाड़े बाजे साथ शिव को मनाते चले,
कैसा छाया कावड़ियों पे रंग कावड़ उठा के चले

रंग बिरंगी कावड़ सजा के पाँव में घुंगरू छम छम बजा के,
थामे इक दूजे का हाथ साथ निभाते चले,
कैसा छाया कावड़ियों पे रंग कावड़ उठा के चले

सावन की है रुत मस्तानी,
मेरे भोले बाबा की दुनिया दीवानी,
पाछे गंगा जल है साथ शिव को चढ़ाने चले,
कैसा छाया कावड़ियों पे रंग कावड़ उठा के चले

देख प्रेम की तू अध् मत जाना बढ़ते जाना,
भोले को है तुम्हे जल चढ़ाना,
गिरी बिगड़ी बने गी हर बात सिर को झुकाते चलो,
कैसा छाया कावड़ियों पे रंग कावड़ उठा के चले
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