ऐसा क्या जादू कर डाला मुरली जादूगरी ने
किस कारण से संग में मुरली राखी है गिरधारी ने
बांस के एक टुकड़े में देखा ऐसा क्या बनवारी ने
किस कारण से संग में मुरली राखी है गिरधारी ने
कभी हाथ में कभी कमर में कभी आधार में सजते हिअ
मोहन की साँसों की थिरकन से पल में यह बजती है
काहे इतना मान दिया है बंशी को गिरवर धारी ने
किस कारण से संग में मुरली राखी है गिरधारी ने
इक पल में मुरली दूर नहीं सांवरिया के हाथो से
रास नहीं रचता इसके बिन वो पूनम की रातों में
काहे को सौतन कह डाला इसको राधा रानी ने
किस कारण से संग में मुरली राखी है गिरधारी ने
अपने कुल से अलग हुई और अंग अंग कटवाया है
गर्म सलाखों से हाय मैंने रोम रोम बिंदवाया है
तब जाकर ये मान दिया बंशी को कृष्णा मुरारी ने
किस कारण से संग में मुरली राखी है गिरधारी ने