आ शाम के संग में चलें प्यारे बरसाने में
यूं कहें हम ब्रज की बातें अपनी आवाजों में
कान्हा मिलना और बिछड़ना इस जीवन की रीत रही
जितने रूप बदले मन में लेकिन प्रीत रही
राधा रानी बताएंगे, राधा रानी बताएंगे अपने अंदाज में
आज शाम के संग चले प्यारे बरसाने में
हमने सुना है बरसाने में आज भी वो रीत रही
होली की बात कहें तो आज भी वहां जीत रही
फूलों का श्रृंगार किए, फूलों का श्रृंगार किए
आज भी वो बरसाने में
आज शाम के संग चले प्यारे बरसाने में
मैं कैसे कहूं कन्हाई तेरी इन प्यारी बातों को
सबने यही सुना है राधेकृष्ण की बातों को
नित रोज यही गाऐ, नित रोज यही गाऐ
राधेकृष्ण के विचारों को
आज शाम के संग में चले प्यारे बरसाने में
गायक भजन सम्राट भागवताचार्य
पंडित राधेकृष्ण जी महाराज श्यामगढ़
लेखक , पंडित राधेकृष्ण जी महाराज
M.9009770820,9039392870