सावन का मेरे रंग चढ़ गया

मेरी जान मरण में आ री से किसा लोक नसेड़ी गल पड़ गया,
यु न बोले गोरा रानी सावन का मेरे रंग चढ़ गया,

ला दे घोटा भर ला लोटा प्यास भुजा दे भोले की,
पीवण की तेरी लिमट रहे न बात यही है रोले की,
थोड़े में तेरा काम न चाले पार भोले तू लिमट कर गया,
यु न बोले गोरा रानी सावन का मेरे रंग चढ़ गया,

राजी राजी पयादे भंगियाँ क्या दे मुँह चढ़ावे से,
दुनिया आवे हरिद्वार में मने कदी न घुमावे से
कितने वादे हो लिये तेरे झूठ बोलन की हद कर गया,
यु न बोले गोरा रानी सावन का मेरे रंग चढ़ गया,

सिर मेरे जब भांग चढ़ जाइ आनंद आवे तू मन में,
रज के पी ले मेरे भृंगारी नाच दिखाइये सावन में,
भगत सतिंदर तेरा पुजारी राज मेहर कैसे छंद चढ़ गया,
यु न बोले गोरा रानी सावन का मेरे रंग चढ़ गया,
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