मैं मुरली बन जाऊ मुझको अधर लगा ले

मोहन मुरली वाले मैं मुरली बन जाऊ मुझको अधर लगा ले,

मेरा जीवन इक इस घट है अमृत इसे बना दे,
बिन मतलब के इस जीवन  का मतलब मुझे बता दे,
सुर की सुधा पीला दे प्रीत की रीत सीखा दे,
मैं मुरली बन जाऊ मुझको अधर लगा ले,

मैं मुरली बन जाउगा तो होंगे वादे न्यारे ,
तुमसे मिले बजाने वाला सुर निकले गे प्यारे,
संग रहु गा तेरे ब्रिज के ग्वाल निराले,
मैं मुरली बन जाऊ मुझको अधर लगा ले,

अपनी सांसो से तू मोहन मुझमे प्राण भरे गा,
सूरज सा पापी भे करनी पल में पार करेगा,
जन्म जन्म का साथी कान्हा मुझे बना ले,
मैं मुरली बन जाऊ मुझको अधर लगा ले,
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