रात श्याम मेरे सपने में आया कैसे केहदु की आया नहीं है,
उसने मुजको गल्ले से लगाया कैसे कह दू लगाया नहीं है,
सिर पर उसके था मोर मुकट प्यारा,
हार था मोतियों का गल्ले में,
काली अखियो में कजरा लगाया,
कैसे कह्दु लगाया नही है,
रात श्याम मेरे......
हाथ में उनके थी बांसुरी वो मोहनी जिसके स्वर में छुपी है,
जिसने सारे जगत को नचाया कैसे कह्दु के नचाया नही है,
रात श्याम मेरे..................
पास में मेरे आ कर के बेठा मुस्कारते हुए मनमोहन जब,
अपने हाथो से माखन खिलाया कैसे कह दू खिलाया नही है,
रात श्याम मेरे....................