कपूर पिंड वाली माँ भंडारी बैठी खोलके

कपूर पिंड वाली माँ भंडारी बैठी खोलके,
भर लो झोलियाँ जैकारे माँ दे बोल के ,
कपूर पिंड वाली माँ भंडारी बैठी खोलके

महरा दी सौगात एथे कदे भी न मुकदी,
कोल बिठा के माँ सरेया नु पुछदी
दसो केहन्दी सारी गल दिल वाली खोल के,
कपूर पिंड वाली माँ भंडारी बैठी खोलके

भगता दे ओथे सदा रेहँदी माँ दयाल एह हर वेले भगता दे रेहँदी नाल नाल है,
नाम दे प्याले माँ देवे खोल खोल के कपूर पिंड वाली माँ भंडारी बैठी खोलके

किसे नु भी दर तो निराश नहीं मोड़ दी,
भगता प्यारेया दा दिल नहियो तोड़ दी,
भर भर मुठा भरे झोली विच खोल के
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