जबसे तूने श्याम मुझे अपनाया है
जीने का अंदाज़ मुझे सिखलाया है
खुशनुमा ज़िन्दगी को बनाया है
जबसे तूने श्याम.............
गिरती थी उठती थी मैं खाकर ठोकर
वक़्त गुज़ारा मेरी इन आँखों ने रोकर
अब तो हर पल मेरा मुस्कुराया है
जबसे तूने श्याम.............
कीमत ना थी कुछ भी मेरे जज़्बातों की
चिंता ने ले ली थी मेरी नींदें रातों की
जो ना सोचा कभी वो पाया है
जबसे तूने श्याम.............
शुक्र सांवरे तेरा मैं करती सुबह शाम
तेरी कृपा से मेरे बने सारे बिगड़े काम
तूने कुंदन सा मुझे चमकाया है
जबसे तूने श्याम...........