तेरा सुमिरन तेरा दर्शन यही आधार मेरा
इसके बदले मैं ज़माने की कोई चीज़ न लू
मुझे है नाज़ प्रभु आपकी इस रेहमत पे
मैं तो हर रोज़ तेरे गीत गुनगुनाता हु
मुझे डरकर नहीं श्याम किसी उत्सव की
मैं तो होली दिवाली रोज़ ही मनाता हूँ
तेरा जलसा तेरा कीर्तन यही त्यौहार मेरा
इसके बदले मैं ज़माने की कोई चीज़ न लू
मैंने देखे हियँ दुनिया भर के नज़ारे लेकिन
मेरे मन को तो श्याम बस तेरा ही दर भये
तेरी चौखट पे सर झुका के चैन मिलता यूँ
जैसे बच्चे को माँ की गॉड में सुकून आये
तेरा मंदिर तेरा आंगन यही घरबार मेरा
इसके बदले मैं ज़माने की कोई चीज़ न लू
मेरे हाथों की लकीरों में जो लिखा ना था
मैंने तेरे दर से श्याम रिश्ता वो भी पाया है
मुझे जब भी पड़ी डरकर तेरी रेहमत की
श्याम परेमी के रूप में तू ही तो आया है
तेरे प्रेमी तेरे सेवक यही परिवार मेरा
इसके बदले मैं ज़माने की कोई चीज़ न लू