मोसे मेरा श्याम रूठा
काहे मोरा भाग फूटा
काहे मैंने पाप ढोए
अंसुवन बीज बोए
छुप-छुप मीरा रोए
दर्द ना जाने कोए
मोसे मेरा श्याम...
मैं ना जानूं, तू ही जाने
जो भी करूँ मैं, मन ना माने
पीड़ा मन की तू जो न समझे
क्या समझेंगे लोग बेगाने
काँटों की सेज सोहे
छुप-छुप मीरा रोए...
विष का प्याला पीना पड़ा है
मरकर भी मोहे जीना पड़ा है
नैन मिलाए क्या गिरधर से
गिर गई जो अपनी ही नज़र से
रो-रो नैना खोए
छुप-छुप मीरा रोए...