हां सँवारे पतंग मेरी उड़ गई है

जब से नजर तेरी पढ़ गई है,
हां सँवारे पतंग मेरी उड़ गई है,

पहले मैं उडाता था तो झट कट जाती थी,
जयदा देर आसमान मे टिक नहीं पाती थी,
जब से ये हाथो तेरे पढ़ गई है,
हां सँवारे पतंग मेरी उड़ गई है,

नशा तेरे भजनो का कैसा मैं बताऊ,
नींदो में सँवारे मैं गुण तेरे गाउ,
जब से खुमारी तेरी चढ़ गई है,
हां सँवारे पतंग मेरी उड़ गई है,

हर्ष की डोरी बाबा थामे युही रखना,
ढीली मत छोड़ देना कस के पकड़ना,
जब से ये प्रीत तुम  से जुड़ गई है
हां सँवारे पतंग मेरी उड़ गई है,

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