चारा चरत गाये को बंदे कभी हटना नही चाहए,
हरी गास जब मिलती हो तो फूस खिलना नही चाहिए,
बचो के खातिर दूध की दार बहाती है,
पहली दार से वो अपने पूत को दूध पिलाती है,
लालच के वस् पीता बछड़ा कभी छुड़ाना नही चाहए,
हरी गास जब मिलती हो.....
कितना दूध देती ये अपनी अपनी मर्यादा है,
किसे के थन से थोड़ा निकले किसे के थन से ज्यदा है,
ज्यदा दूध के लालच में उसे सुई लगना नही चाहिए,
हरी गास जब मिलती हो....
गौ माता की सेवा कर हर्ष यही बताता है,
साचा प्राणी निर्बल गो को गौशाला पौचाता है,
भुड़ी गौ को बूछडखाने कभी भी जाना ना चाहिए,
हरी गास जब मिलती हो....