भवनों में लगा कर डेरा माँ,
मेरी कुटियाँ में आना भूल गई,
अपने ही दर के दीवानो की तकदीर जगाना भूल गई,
भवनों में लगा कर डेरा माँ,
धरती से लेकर अम्बर तक हर जीव की तुझको चिंता है,
तेरे अध्भुत साही लंगर से हर इक प्राणी पलता है,
तूने भर दिया पेट माँ सब का ही हम को ही खिलाना भूल गई,
भवनों में लगा कर डेरा माँ,
मेरे दिल का हाल मेरी माता मैं तुमको ही बताऊ गा,
इस झूठे रिश्ते नातो की सच्ची बाते समजाउ गा,
तुम खुद ही फेंसला करना मैं सच कहु तो करना भूल गई,
भवनों में लगा कर डेरा माँ,
पतझड़ के सूखे पेड़ो पर अब ला भी दो हरयाली माँ,
तेरा जरा सा हाथ हिले तो आ जायेगी खुशहाली माँ,
हम जैसे किस्मत मारो की किस्मत चमकाना भूलगी,
भवनों में लगा कर डेरा माँ,
कुल श्रिष्टि की तुम माता हो हम भी तो तुम्हारे अपने हो,
मेरे दिल में उमंगे है कुछ कुछ अपने भी सपने है,
निर्दोष के धुंदले सितारों को तुम क्यों चमकाना भूल गई,
भवनों में लगा कर डेरा माँ,