इतना प्यार करे ना कोई,
माँ करती है जितना,
इतना धयान रखे ना कोई,
माँ रखती है जितना,
कोई नहीं परदेश में मेरा,
कोई नहीं परदेश में मेरा,
किसको हाल सुनाऊँ माँ,
कोई नहीं परदेश में मेरा,
किसको हाल सुनाऊँ माँ,
दूर हूँ मैं मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊं माँ,
दूर हूँ मैं मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊं माँ....
पास बिठा कर तू अपने,
हाथो से मुझे खिलाती थी,
जब तक मैं ना खा लेता था,
माँ तू भी ना कहती थी,
चोट मुझे लगती थी,
तेरी आँखे नीर बहती थी,
मैं तो सो जाता था माँ,
पर तुझको नींद ना आती थी,
मुझपे बहुत अहसान है तेरे,
मुझपे बहुत अहसान है तेरे,
कैसे उम्हे भूलाऊं माँ,
दूर हूँ मैं मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊं माँ,
दूर हूँ मैं मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊं माँ....
देखके वैष्णो माँ की मूरत,
तेरी सूरत याद आये,
सच कहता हूँ अब तेरी,
हर एक नशीहत याद आये,
तू कहती थी अपने घर की,
रूखी सुखी अच्छी है,
झूठी है दुनिया की दौलत,
तेरी ममता सच्ची है,
क्यूँ छोड़ा मंदिर जैसा घर,
क्यूँ छोड़ा मंदिर जैसा घर,
सोचूं और पछताऊं माँ,
दूर हूँ मैं मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊं माँ,
दूर हूँ मैं मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊं माँ......
सारे जग में कोई मुझसा,
बदकिस्मत मजबूर ना हो,
छोड़ के अपना देश कभी,
कोई बेटा माँ से दूर ना हो,
किस्मत वाले रहते है,
माँ के आँचल की छांव में,
देवों के वरदान से ज्यादा,
असर है माँ की दुआओं में,
माँ जैसा कोई और नहीं है,
माँ जैसा कोई और नहीं है,
मैं सबको समझाऊँ माँ,
दूर हूँ मैं मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊं माँ,
दूर हूँ मैं मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊं माँ......