दर दर की ठोकर खा कर के तेरी शरण में आये माँ

दर दर की ठोकर खा कर के तेरी शरण में आये माँ,
श्रद्धा के दो आंसू है भेट नहीं कुछ लाये माँ,
दर दर की ठोकर खा कर के तेरी शरण में आये माँ,

तेरे सिवा है अम्बे रानी कोई नहीं यहाँ मेरा है,
मतलब की इस दुनिया में माँ सिर्फ भरोसा तेरा है,
क्या क्या बतालाऊ मियां जी जग के बड़े सताये माँ,
श्रद्धा के दो आंसू है भेट नहीं कुछ लाये माँ,

माँ और बेटे का तो जग में बड़ा ही निरमल नाता है,
हे जगजननी जगदम्बे तू ही भाग्ये विधयता है,
अपनों ने जो जख्म दिए है तुम्हे दिखाने आये माँ,
श्रद्धा के दो आंसू है भेट नहीं कुछ लाये माँ,

तुमने सुनो गी तो मेरी मैया और कहा अब जाऊ मैं ,
अपने दिल का हाल बता दो किसको आज सुनाऊ मैं,
नैना मेरे रो रो कर के कैसे नीर बहाये माँ ,
श्रद्धा के दो आंसू है भेट नहीं कुछ लाये माँ,

भीम साइन माँ की किरपा से ऐसी फिर करामात हुई,
धन दौलत इज्जत सोहरत की बिन मासूम बरसात हुई,
भूले न एहसान ये राणा गुण तेरा ही गाये माँ,
श्रद्धा के दो आंसू है भेट नहीं कुछ लाये माँ,
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