टीका तो री माता धरया री भवन मैं,
बिंदी उलझ गयी बाला मैं हे री अम्बे जगदम्बे माता,
सो गई लिपट पहाड़ा मैं हे री अम्बे जगदम्बे माता....
बाली तो री माला धरी ही भवन मैं,
झुमके के उलझ गए बाला मैं हे री अम्बे जगदम्बे माता,
सो गई लिपट पहाड़ा मैं री अम्बे जगदम्बे माता.....
नथली तो री माता धरी भवन मैं,
कोका उलझ गया बाला में हे री अम्बे जगदम्बे माता,
सो गई लिपट पहाड़ा मैं री अम्बे जगदम्बे माता....
माला तो री माला धरी ही भवन मैं,
हार के उलहझ गया बाला मैं हे री अम्बे जगदम्बे माता,
सो गई लिपट पहाड़ा मैं री अम्बे जगदम्बे माता....
चूडा तो री माला धरा ही भवन मैं,
हो कंगना उलहझ गए बाला मैं हे री अम्बे जगदम्बे माता,
सो गई लिपट पहाड़ा मैं री अम्बे जगदम्बे माता....
पायल तो री माला धरी ही भवन मैं,
हो बिछुए उलहझ गए बाला मैं हे री अम्बे जगदम्बे माता,
सो गई लिपट पहाड़ा मैं री अम्बे जगदम्बे माता.....