दिल में अरमान मैया जाने कितना लाया हु,
तेरे दरबार माँ मैं पहली बार आया हु,
मनत की चुनरी चूड़ी धागा साथ लाया हु,
करले न स्वीकार माँ मैं पहली बार आया हु,
तेरा भुलावा पा के आया तेरे धाम में,
गोद में बिठा के देदे अंचल की छाव रे,
रहु तेरे चरणों में बस यही आस माँ,
तेरा ही गुण गाउ अब दिन रात मैं,
तेरे चरणों की धूल माथे पर सजाया हु,
तेरे दरबार माँ मैं पहली बार आया हु,
अपने से दूर कभी होने नहीं देना माँ,
भूल से भी प्यार अपना खोने नहीं देना माँ,
तुमसे ही मेरा जीवन मेरा जहांन है,
तेरे बिना ही मियां दुनिया वीरान है,
गैरो से नहीं माँ मैं अब अपनों से चोट खाया हु,
तेरे दरबार माँ मैं पहली बार आया हु,