श्याम बांसुरी बजाये री अधर धर के

   गजब की बांसुरी बजती है वृन्दावन बसैया की,
   करूँ तारीफ़ मुरली की या मुरली धर कन्हैया की ।
   जहां न काम चलता तीर और कमानो से,
   विजय नटवर की होती है वहां मुरली की तानो से ॥

श्याम बांसुरी बजाये री अधर धर के,
रूप माधुरी पिलाए यह तो भर भर के ।

बांसुरी बज के छीने मन का आराम री,
बांसुरी है जादू किया, जादूगर श्याम री,
बजे जब यह निगोड़ी, मेरा जीया धड़के ।
बांसुरी बजाये री अधर धर के, श्याम...

कदम की छैया ठाडो ठाडो मुस्काए री,
बांसुरी में धीरे धीरे राधे राधे गाए री,
ऐसा रूप है सलोना, जीया ले गयो हर के ।
बांसुरी बजाये री अधर धर के, श्याम...

बांसुरी निगोड़ी जब बजे ऐंठ ऐंठ के,
अधर सुधा को पिए अधरों पे बैठ के,
देखो फिरे इतराती, यह सवार करके ।
बांसुरी बजाये री अधर धर के, श्याम...

राधिका किशोरी वामे बांसुरी हो कर में,
रमण हमेशा करो मन के नगर में,
बस इतना ही मांगूं देदो दया करके ।
बांसुरी बजाये री अधर धर के, श्याम...
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