इतना बता दे हमको कन्हैया

इतना बता दे हमको कन्हैया क्यों परिवार टूटता है,
पैसों की खातिर एक भाई भाई से ही रूठता है.....

बचपन में क्या प्यार था इनमें एक दूजे पर मरते थे,
मात मेरी है पिता है मेरा बस इस बात पर लड़ते थे,
अब पैसों के आगे इनको और कोई ना भाता है,
इतना बता दे हमको कन्हैया.....

भाई बहन के प्यार की जग में लोग मिसाल है देते थे,
द्रोपती और कान्हा के जैसा रिश्ता है यह कहते थे,
अब राखी के दिन ही हमको याद यह रिश्ता आता है,
इतना बता दे हमको कन्हैया.....

रिश्तो से बढ़कर के है क्या पैसा कोई बतलाए,
इन पैसों से एक तो सच्चा प्यार खरीद के दिखलाएं,
फिर पैसों के बल पर इतना क्यों कोई रहता है,
इतना बता दे हमको कन्हैया.....
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