मेरा दिल चुराके ले गया इक ग्वाला गोकुल शहर दा,
चूज नजरा दे नाल कह गया इक ग्वाला गोकुल शहर दा,
मैं पनघट ते सी चली,
मेनू देख के कलमकली मेरा रास्ता रोक क बह गया ,
इक ग्वाला गोकुल शहर दा,
मुसचेदी तान अवली,
मैं होगी चलम चली मेरा मेरा खुद पवाडा पा गया
इक ग्वाला गोकुल शहर दा,
मेरा खुद पवाडा पाया,
नी मैं लाभिया श्याम गवाया,
मैं हरी मिलन को रह गया,
इक ग्वाला गोकुल शहर दा,