भजन में आके मितला है दुखियो को सहारा,
अधर न आते भजन में हम तो हो जाते बेसहारा,
भजन में आके मितला है दुखियो को सहारा,
कहा चला मुँह मोड़ के भटक रहे क्यों पगले,
इतना सूंदर भजन है गंगा आके सब कोई पी ले,
नहीं मिला है नहीं मिलेगा अगर छूटा जो किनारा,
भजन में आके मितला है दुखियो को सहारा,
भजन है रस का प्याला जो पिये तर जाए,
इस में जो आया है अपना दर्द मिटाये ,
लगता है अब तो इस के लिए लेंगे जन्म दोबरा,
भजन में आके मितला है दुखियो को सहारा,