फरियाद सुनाने को फरियादी आया है,
दिल के इन जख्मो में बिखलाने आया है
कभी खुद गिर जाती हु कभी लोक गिराते है,
सुलझाती हु जितना उतना उलझाते है,
उलझी हुई गाठो को सुलझाने आया हु,
दिल के इन जख्मो में बिखलाने आया है
दिनो के मसीहा हो दुखियो के पालनहार,
चरणों में आई हु लेकर के अनुवन हार,
है लाज बड़ी अनमोल बतलाने आया हु ,
दिल के इन जख्मो में बिखलाने आया है
अधिकार मेरा तुम पे हक़ से कहता हु श्याम,
तेरे आगे कर डाला मोहित ने समर्पण श्याम,
जीवन की डोर तुम्हे संग लाने आया हु ,
दिल के इन जख्मो में बिखलाने आया है