मेरी मैया का ऐसा दरबार भीड़ यहाँ हर दम लगे,
खुले सब के लिए माँ के दवार,भीड़ यहाँ हर दम लगे,
जो भी इस के दर पे आये झोली भर के जाए,
माता के दरबार में आके जो चाहे सो पाए,
खोल बैठी है वो भण्डार भीड़ यहाँ हर दम लगे,
ये है आंबे ये जगदम्बे ये है शेरावाली,
भुजते दीप जलाने वाली ये है ज्योता वाली,
मेरी मैया के हाथ हजार,भीड़ यहाँ हर दम लगे,
निर्बल को बल निर्धन को धन देने वाली माता,
माता के दर सब है भिखारी वो है सब की दाता,
मांगे माता से सारा संसार भीड़ यहाँ हर दम लगे,