जय हो माँ अंजनी का लाला

लाल देह लाली लसय, हर धर लाल लंगूर
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपिसुर

जयहो माँ अंजनी का लाला, जयहो लाल लगोटे वाला
        प्रभु देह है तुम्हरी लाल, है झंडा लाल
      लाल सालासर वाले, हो भगतो के रखवाले  

    बचपन से ही लाल रंग बजरंग, तुझे है भाया
    आसमान पर देखे सूरज, लाल लाल खाया
लाल रंग है फल समझके, तुम सूरज ही खा डाले
      प्रभु देह है तुम्हरी लाल, है झंडा लाल
     लाल मेंहदीपुर वाले, हो भगतो के रखवाले

   लाल लाल फल रावण की, भगिया का देख मुस्काये
   तहास नहस करदिया बाग, अझय को मार गिराये
और लाल लाल अगनि से, लंका ही जला तुम डाले
     प्रभु देह है तुमारी लाल है झंडा लाल
     तेरे है काम निराले, प्रभु सालापुर वाले

   लाल लाल सिंदूर सिया ने, तुमको तिलक लगाया
  सारा तन रंग लिया लाल, तुझको ईतना भाया
लाल रंग को लेके उसदम, तन सारा ही रंग डाले
    प्रभु देह है तुम्हरी लाल, है झंडा लाल
  लाल बम्पापुर वाले हो भगतो के रखवाले

   करदे किरपा हनुमत बीरा, मै भी लाल हु तेरा
   तेरी भगती की लाली से रंग जाये तन मन मेरा
तेरी महिमा लख्खा गावै, श्री कांची धिवारी जावै
    प्रभु देह है तुम्हरी लाल, है झंडा लाल
   लाल सालासर वाले, हो भगतो के रखवाले


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