संवरियो जादू कर गियो मे क्या करू
रे कानुडो कामन कर गियो मई क्या करू
हलरी दुलरी और पंचलरी अरे बाजूबंद नगीना
अंगिया की कस टूटन लागी आवे अंग पसीना
अरे भर घडो सागर से चाली सूरज अर्ग मोह दिना
बृंदावन की कुंज गलियां में आवे स्याम सलोना
मेडतो छोड़ उदयपुर छोड्यो छोड़ दिया जग सारा
मीरा कहे परभू गिरधर नागर अपने रंग रंग डाला
रे संवरियो जादू कर गियो मे क्या करू
रे कानुडो जादू कर गियो मे क्या करू
रे मुरलीवालो जादू कर गियो में क्या करू