जब से निहारा श्याम तुम्हे,
पलकों ने जापक ना छोड़ दिया,
जब से बसाया इस दिल मै तुम्हे,
मैं तेरी तलास में सांवरिया हर दर दर पे में भटका हु,
जग से हारा दुःख का मारा आज बवर मे अटका हु,
जबसे तेरा दमन थाम लिया दुनिया मै बटक ना छोड़ दिया,
ना जाने कहा तू खोया था जो आज मुझे तू आके मिला,
तेरी रहमत से मालिक मेरी बगिया का फूल खिला,
युग युग से तरस ते नेनो से अस्को ने बरसना छोड़ दिया,
तू ही नैया तू ही माजी तू ही साहिल तू ही किनारा है,
बिट्टू के मन का मीत तुही यह तन मन तुज पर वारा है,
कैसा यह जड्डू तूने किया,इस दिल ने तरस ना छोड़ दिया,
जब से निहारा श्याम तुम्हे,
पलकों ने जापक ना छोड़ दिया