श्याम धनि आने मे क्या देर लगाओ गे,
इतना समज ले हारे हुए को और हराओ गे,
लिखा तेरे मंदिर में हारे का सहारा,
इस नाम से भजता डंका तुम्हारा,
क्या तुम अपने नाम पे बाबा दाग लगाओ गे,
इतना समज ले हारे हुए को और हारो गे,
खेंच कर के नैया तेरी चौकठ में लाया,
माझी बना कर तुझे नाव में बिठाया,
तुम जिस नैया में बैठे क्या उसे धुबाओ गे,
इतना समज ले हारे हुए को और हारो गे,
ये न संजना के खाली हारे हुए है,
जिस दिन से हारे बाबा तुम्हारे हुए है,
अब मेरी लाज नहीं ये तुम खुद गवाओ गे,
इतना समज ले हारे हुए को और हारो गे,
बनवारी हार कान्हा डूबने का दर है,
किया मैंने तुझपे भरोसा टूटने का डर है,
तुम हो भरोसे लायक क्या ये दिन दिखलाओ गे,
इतना समज ले हारे हुए को और हारो गे,