मैं कुरबान सोहनी बंसरी बजान वालिया
बेड़े डूबदेया दे आपे बने लान वालिया
जदो पिता ने पेहलाद नु पहाडो सुटया
बावा खोल के ते प्यार तेरा जाग उठया
मैं कुरबान........
जदो राणा ने पटारी विचो नाग कल्या
नाग खोल के पटारी जदो मीरा तकया
छत नाग तो नारायण बन जान वालिया
मैं कुरबान.........
जदो द्रौप्ता दे सभा च उतारे चीर वे
जा द्रौप्ता पुकारे हुन आजा वीर वे
छत साड़िया दा रूप बन जान वालिया
मैं कुरबान...........