जी हाँ चैन मिले हरी स्मरण में
ख़ुशी मिले कीर्तन में
भजे बिना कैसे जिवूँ, मैं तो जानू ना
भोगों को तरसे जीवन, आनंद को आत्मा,
रोगों से तड़पे ये तन, सोइ है चेतना,
ओ कृष्णा रे ओ कृष्णा रे, लिप्सा को हर लो देवा करता हूँ प्रार्थना
समझ मिलेगी कभी तो पथ में, मैं तो मानु हाँ ,
जी हाँ चैन मिले हरी स्मरण में....
भय मोहों की है दुनिया,
दुःख सुख का मेल है,
गुड़ जाए कब ये लुटिया, जीवन की बेल है,
ओ कृष्णा रे ओ कृष्णा रे, तर जाए ये कुटिया,कर्मों का खेल है
दरस दिखेंगे कभी तो पथ में, मैं तो मानूं हाँ ,
जी हाँ चैन मिले हरी स्मरण में ....