तर्ज- स्वर्ग से सुन्दर सपनों से प्यारा
चाहे लाख करो तुम पूजा चाहे तीरथ करो हजार,
मात -पिता को ठुकराया है जीवन है बेकार,
श्रेष्ठतम देव यही है पूज्यनीय मात यही है
तीन लोक की देवी होती है माता प्यारी
अपने लला के दुख़ को सह सकती है महतारी
लालन पालन करती दुखिया सहती कष्ट अपार
श्रेष्ठतम देव यही है पूज्यनीय मात यही है
नौ माह गर्भ में पाला सुख से न समय बिताया
सोकर स्वयं गीले में सूखे में तुम्हें सुलाया
ऐसी मां के चरणों को मैं पूजूं बारम्बार
श्रेष्ठतम देव यही है पूज्यनीय मात यही है
जब थी बाल अवस्था मां की गोदी में खेले
खुशियों की तुम्हारी खातिर मां ने कितने दुःख झेले
नेम चंद प्रजापति कहत सभी से मां की महिमा अपार
श्रेष्ठतम देव यही है पूज्यनीय मात यही है
लेखक एवम् निर्माता नेम चंद प्रजापति जी
दिवना वाले
मो.न.6397647998
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