कैसे मैं तो भूलूँ बाबा तेरी मेहरबानियाँ

जो देख कर मुँह फेर लिया करते थे,
वक़्त बदला तो मेरे नीम पर आम आने लगे,
किस किस को सुनाऊँ तेरे दान की कहानियाँ,
तू ही तो है मेरे बाबा जो करता है हम सब पर मेहरबानियाँ,

कैसे मैं तो भूलूँ बाबा तेरी मेहरबानियाँ,
कैसे मैं तो भूलूँ बाबा तेरी मेहरबानियाँ,
जब से पड़ी रे नज़र बरसी हम पर मैहर,
दिन गए रे सुधर दिन गए रे सुधर
कैसे मैं तो भूलूँ बाबा तेरी मेहरबानियाँ हो।।

सबसे सुना था मैंने भी माना हारे के संग साथ हो,
जब से पकड़ी तेरी डगर बाबा बनती गई सब बात हो,
साथ तुम्हारा मिल गया जबसे,
साथ तुम्हारा मिल गया जबसे,
हो गई रे करामात हो
तूने ही मिटाई मेरी सारी परेशानिया हो,
जब से पड़ी रे नज़र बरसी हम पर मैहर,
दिन गए रे सुधर दिन गए रे सुधर,
कैसे मैं तो भूलूँ बाबा तेरी मेहरबानियाँ हो।।

कैसे बताएं तुझको ओ बाबा कैसी अँधेरी रात ओ,
सुख सारे हो गए आँखों से ओझल थी दुखों की बरसात हो,
गम के बादल छंट गए जबसे तूने पकड़ा हाथ हो,
सब को सुनाते तेरे दान की कहानियां,
जब से पड़ी रे नज़र बरसी हम पर मैहर,
दिन गए रे सुधर दिन गए रे सुधर,
कैसे मैं तो भूलूँ बाबा तेरी मेहरबानियाँ हो।।

तेरे भरोसे हमरा ओ बाबा छोटा सा परिवार हो,
हरदम हमें हंसाए रखना देना ख़ुशियाँ अपार हो,
गुड्डू माने सब कुछ तुमको चाहे बस तेरा प्यार हो
तुझ पर मैं वारु सो सौ जिन्दगानियाँ,
जब से पड़ी रै नज़र बरसी हम पर मैहर,
दिन गए रे सुधर दिन गए रे सुधर,
कैसे मैं तो भूलूँ बाबा तेरी मेहरबानियाँ हो
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