मेरे श्याम मुरारी आ जाओ,
नटवर गिर्धारी आ जाओ,
तुम्हे बुला बुला क हार गये,
हुई जीत तुम्हारी आ जाओ।।
जमना के किनारे पूछते है,
नदिया के धारे पूछते हैं,
कहां छिपे हो बोलो रे रसिया
सब भक्त तुम्हारे पूछते हैं।।
इस सुनी सुनी अखियो मे
है आस तुम्हारी आ जाओ
मेरे श्याम मुरारी आ जाओ।।
तुम बिन वृंधावान सुना है
मन मोहन ये मन सुना है
सुनी सुनी है कुन्ज गली
हर घर हर आंगन सुना है
राधा दी दिवानी कहती है
सौगन्ध हमारी आ जाओ ।।
मेरे श्याम मुरारी आ जाओ।।
ऐ नन्द दुलारे कहां छुपे,
हमको बतलादौ यहाँ छुपे,
हर तरफ बस येही चर्चा है,
तुम यहाँ छुपे तुम वहां छुपे।।
इस लुका छिपी को छोड भी दो,
पीतांबर धारी आ जाओ।।
मेरे श्याम मुरारी आ जाओ।।
अपनो से नाता तोड दिया,
मोहन मुख हमसे मोड़ लिया
जिस दिन से गये हो गईयौ ने
उस दिन से दुध भी देना छोड दिया
कुच खाती है ना पित्ती है
गऊये बेचारी आ जाओ।।
मेरे श्याम मुरारी आ जाओ।।
ऐ रास रचईया आ जाओ
बन्सी क बजैया आ जाओ
गऔ के चरैया आ जाओ
ए कृष्ण कन्हैया आ जाओ
चंचल की बिगड़ी बनाने को
ऐ कुन्ज बिहारी आ जाओ
मेरे श्याम मुरारी आ जाओ।।