अरे मेरा संवारा किया मन वनवरा

ओ कान्हा रे तू राधा बन कर देख ले इक बार,
राधा की पीड़ा का तुझको जब होगा अनुमान,
तू क्या जाने मुरली वाले बैठा पंख सजाये,
अरे मेरा संवारा किया मन वनवरा के ढूंडू मैं तुझे हर एक गली में,
तू कैसा संवारा तू में क्या नहीं पता के ढूंडू मैं तुम्हे हर एक गली में,

सावन के झूले में पतझड़  के फूलो में सूरज दिखते सांवरे,
गली गली ढूंडू मैं पता तेरा पुछु मैं मन मेरा बेहला जा सांवरे,
तू ही मेरी जान रे तुझे पहचान रे के ढूंडू मैं तुझे हर एक गली,
अरे मेरा संवारा .......

गोकुल की गलियों में वृद्धावन की गलियों में रास रचाते मिल जाना,
क्या ग्वाल वालो संग मेरे मन के मंदिर में गइयाँ चराते मिल जाना,
बंसी को थाम रे सुना कुछ तान रे के जीवन है मेरा तेरे ही नाम रे,
तू ही मेरे प्राण रे तू इतना जान ले के ढूंडू मैं तुझे हर इक गली,
अरे मेरा संवारा ......

तेरी सखियों संग ओ छलिये मोहन माखन चुराते मिल जाना,
मियां यशोदा के आंगन में सांवरे झूला झूलते मिल जाना,
पीड़ा को जान ले तू ही पहचान ले के जीवन है मेरा तेरे ही नाम रे,
अब तो तू मान ले तू इतना जान ले तू न मिला तो मैं दे दू गई जान रे,
अरे मेरा संवारा
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