तेरे खाटू में आकर रुकना जरुरी हो गया,
रुकना जरुरी हो गया सिर जुकना जरुरी हो गया,
जरुरी था तेरे चरणों में मेरा बैठ कर रोना,
एहम में किया था जो वो हटना भी जरुरी हो गया,
तेरे खाटू में आकर रुकना जरुरी हो गया,
मुझे सब याद है तुमने मुझे कैसे सवारा था,
घिरा था जब गमो से मैं तेरा ही तो सहारा था,
मगर मगरूर हो कर भूल बैठा तेरी रेहमत की,
समझ पाया नहीं बाबा मैं तेरी उस इनायत को,
सराहा खुद को मैंने हर घडी अपनी ही किस्मत को,
वेहम के उस फलक से तो मेरा गिरना जरुरी हो गया,
तेरे खाटू में आकर रुकना जरुरी हो गया,
मेरी किस्मत चली बाबा सदा तेरे इशारो पर,
फसी जब जब मेरी कश्ती तू लाया किनारो पर,
मुझे वो ही मिला हर पल जो तुमने सँवारे चाहा,
मगर मैं चूर था अपने नशे में न समझ पाया ,
लगी ठोकर मैं तेरी चौकठ पर आया,
मेरे मगरूर पण में दुनिया का हसना जरुरी हो गया,
तेरे खाटू में आकर रुकना जरुरी हो गया,
तेरी मर्जी बिना दुनिया में पता तक नहीं हिलता,
मैं समजा हु मगर बाबा बड़ी ही देर से समजा,
मैं पछताता हु हर लम्हा मुझे बस माफ़ कर देना,
मैं ठुकराया हु दुनिया का मुझे ठुकरा न तुम देना,
है जैसा भी तेरा पागल उसे अपनी शरण लेना,
एहम का दीप ये शर्मा का अब बुझना जरुरी हो गया,
तेरे खाटू में आकर रुकना जरुरी हो गया,