म्हारी पत राखो गोपाल

( श्याम थारे बिन दास की,
पत राखेगो कौण,
थां पर दारमदार है बाबा,
क्यों बैठ्यो होकर मौन। )

म्हारी पत राखो गोपाल,
ओ जी श्याम,
म्हारी पत राखो गोपाल,
एक बस थारो सहारो है,
थोड़ी कर ल्यो थे म्हारी संभाल,
ओ जी श्याम,
एक बस थारो सहारो है,
म्हारी पत राखो गोपाल,
एक बस थारो सहारो है॥

म्हाने मिल्या थे, थारी दया है,
टाबरिया भोला म्हे थारा,
थे ही सखा हो, मायड़ हो थे ही,
थे ही पिता हो म्हारा,
थारे बिना तो रहवाँ बेहाल,
एक बस थारो सहारो है,
म्हारी पत राखो गोपाल,
एक बस थारो सहारो है॥

क्यों ना तू रीझे,
क्यों पसीजे,
बोल कठे सी म्हे जावां,
थारे चरण में, थारी शरण में,
बाबा म्हे आराम पावां,
छोड़ आया मैं जी को जंजाल,
एक बस थारो सहारो है,
म्हारी पत राखो गोपाल,
एक बस थारो सहारो है॥

चौखानी थारो बालक है बाबा,
गलती की माफ़ी है चाहवे,
हो जा तू राजी,
ओ रे मिजाजी,
कुण म्हारी विपदा मिटावे,
बात मुस्का के मत ना तू दाल,
एक बस थारो सहारो है,
म्हारी पत राखो गोपाल,
एक बस थारो सहारो है,
थोड़ी कर ल्यो थे म्हारी संभाल,
ओ जी श्याम,
एक बस थारो सहारो है,
म्हारी पत राखो गोपाल,
एक बस थारो सहारो है.......
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