देखो फिर आया नया साल है
(तर्ज - जीवन तो भैया एक रेल है)
देखो फिर आया नया साल है...
हर कोई मस्ती में बेहाल है...
देखो फिर आया नया साल है...
हर कोई मस्ती में बेहाल है...
गोवा और शिमला तो सब जाते हैं...
उटी में धन दौलत लुटाते हैं...
बाबा के नैना, नैनीताल हैं...
हर कोई मस्ती में बेहाल है...
फॉरेन जाने की जिद क्यूं करते हो...
बाबा के आगे रोज बिफरते हो...
अपना तो खाटू बेमिसाल है...
हर कोई मस्ती में बेहाल है...
खाटू की अब के टिकट कटा लेना...
बाबा के आगे धोक लगा लेना...
दर्शन से कटता हर जंजाल है...
हर कोई मस्ती में बेहाल है...
क्या जरूरत, भर के बैग ले जाने की...
बाबा खुद चाबी है, खजाने की...
बिन मांगे करता मालामाल है...
हर कोई मस्ती में बेहाल है...
- रचनाकार
अमित अग्रवाल 'मीत'
मो. 9340790112