फागण आयो रे

फागण आयो रे चलो बाबा के दरबार जी,
फागण आयो फागण देखो रंग रंगीलो,
फागण आयो रे.......

फागण मॉस है जैसे आये मन में उठे उमंग जी,
सांवरिया से होली खेलन आते सभी है संग जी,
खाटू में बैठा सांवरिया सब को दर्शन देता,
जो भी इसके दर आ जाता दुखड़े सब हर लेता,
फागण आयो रे.....

पचरंगी भागे में बाबा सबको लगता प्यारा,
चम्पा चमेली कागजरा देखो लगदा कितना न्यारा,
रंग गुलाल उड़ाते आते देखो सब नर नारी,
इतर की खुश्बू से महके है अरे खाटू नगरी सारी,
फागण आयो रे........

बाबा के निशान जो प्रेमी फागुन में है चढ़ाते,
आशीर्वाद मिले बाबा का हर मौज उड़ाते,
कहे अनिल केशव मिल कर बाबा को रंग लगाना,
रंग लगा कर मारुती संग सब को भजन सुनाना,
फागण आयो रे........
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