धर्म कर्म में लगा जन्म क्यों भटके रेत में,
मेरा श्याम धनि मिट जावे से भगता के हेत में,
रुके से भी रुक न पावे नंगे पग आ जावे से,
भक्ता की खातिर की से की कर जावे से,
पल पल की यु खबर रखे रेहवे है चेत में,
मेरो श्याम धणी बिक जावै सै......
भूल चूक की माफ़ी देवे जी भर के एहने प्यार करे,
मजधारा में अटकी नैया मन माझी यो पार करे,
सांवरिया से कह दे दिल की जो हॉवे ठेठ में,
मेरो श्याम धणी बिक जावै सै
सांवरिया ने सौंप दे चिंता काहे को तू रो रेया से,
दुनिया की इस चखा चौंक में क्यों तू मोहित खो रहा से,
खुश हो जावे इक पल में आंसू की हेठ में,
मेरो श्याम धणी बिक जावै सै