कहाँ रखोगे बाबा हारों की अंसुवन धार॥,
तेरा श्याम कुंड भी छोटा पड़ जाएगा सरकार ॥
हारों की आँखें कभी थकती नहीं है,
अंसुवन की धारा कभी रुकती नहीं है
इनकी पलकों में तो सावन हैं कई हजार,
तेरा श्याम कुंड भी छोटा पड़ जाएगा सरकार
गीली गीली जो है तेरी चौखट ये दानी,
गौर से देखो वो है अँखियों का पानी,
रोतें हैं सब हारे आकर के तेरे द्वार,
तेरा श्याम कुंड भी छोटा पड़ जाएगा सरकार
हारों का दर्द उनके दिल के फसाने,
या तो वो हारा जाने या तू ही जाने,
तुम्ही तो सुनते बाबा हारों की करुण पुकार,
तेरा श्याम कुंड भी छोटा पड़ जाएगा सरकार
बेमोल निकले ‘सोनू’ आँसू संसार में,
कीमत तो देखी उनकी तेरे दरबार में,
यहाँ तो आँसू से ना बढ़कर कोई उपहार,
तेरा श्याम कुंड भी छोटा पड़ जाएगा सरकार
गायक: विशाल गोयल (दिल्ली )
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